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Saturday, August 18, 2018

एहतियात

राह पे बैठा पत्थर आवाज कर रहा है
गुनगुना लफ्जो से झुटलाया न करो

आसमान पैरों से लगी पड़ी है
कलशन अदाओं से गिराया न करो 

वादियों की खूबसूरती पसरी पड़ी है
नैनन के नूर से रिझाया न करो 

वक़्त का अंदेशा रुक सा गया है
जादुई मुस्कान मुस्कुराया न करो

सांसों की इल्तिज़ा अटक जाती है
धड़कने दिल की तेज चलाया न करो 

पाखंडी जहां में कई सारे है
हर किसी को गले लगाया न करो...
love,warning,
precautions

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