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Tuesday, September 04, 2018

डिजिटल चीजों का उपयोग छोड़ हम उपभोग क्यू करने लगे....

हमारे देश को आजाद हुए 72 वर्ष हो गए। इस बीच हमारे देश में कई बदलाव हुए। इस बीच देश म बहुत सारे बदलाव देखने को मिलते है।आजादी के पश्चात भारत तकनिकी ज्ञान से  लगभग अनजान था । 
कमोबेश सारे कार्य मानव स्वयं करते थे।लोगो को एक दूसरे से संवाद करना कोई तकनीकी माध्यम नही थे। उस समय लोग सन्देश पहुचाने का तरीका  डाकतार एवं व्यक्ति ही माध्यम था।आपातकालीन सुचना पहुचाने में बहुत समस्या होती थी।
तकनीक दुनिया में हमारा देश बहुत पीछे था।राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय खबर का जानकारी के लिए अख़बार पढ़ना पड़ता था ।आजादी के पूर्व एवं उसके पश्चात अखबार एक आंदोलन के रूप म किया है।परन्तु द्वित्य विश्वयुद्ध के बाद हमारे राष्ट्रीय नेता ने कई योजनाएं शुरू किये जिससे की हमारा पहुच विस्तार हो।
उधाहरण के लिए  हमारे पूर्व प्रधानमंत्री माननीय स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने सर्व प्रथम परमाणु परीक्षण पोखरण में१८ मई१९७४ को किया । उसके बाद ११ एवं१३ मई१९९८ को पांच भूमिगत परीक्षण किये। जिसके बाद भारत ने स्वयं परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित कर दिया।इसके अतिरिक्त बहुत सारे योजना एवं क्रांति चलाये गये जिसमे हमारा देश खाद्य पूर्ति उद्योग स्थापना व्यापार कृषि पशुपालन  एवं कई अविष्कार किये गए। 
 जिससे आज भारत दूसरे देश से प्रितिस्पर्धा कर रहे हे।इसके अलावा वर्तमान में प्रधानमंत्री द्वारा चलाये गये स्किल इंडिया एवं डिजिटल इंडिया से इलेक्ट्रॉनिक  अविष्कार हुआ ।मेक इन इंडिया से हमारी पहचान दूर दूर देशो में हुआ  ।तथा हमारे देश में विश्व के बड़े बड़े कम्पनिया निवेश कर रहे हैं।
इन योजना से भारत में बड़े संख्या में लोगो को रोजगार मिला। अगर हम वर्तमान समय का तुलना आजादी के समय से करे तो हम पाएंगे कि बहुत सारे ऐसे बदलाव हुए ,जो अतुल्य है।
 चिंता की बात यह हे की लोगो का मोबाइल लेपटॉप जैसे उपकरणों में रूचि बढ़ रही है। व्यक्ति एक अलग ही दुनिया में जा  रहे है। सब कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के गुलाम होते जा रहे है।लोग अपना ज्यादा से ज्यादा समय मोबाइल में बिताते है। भले ही हम आजाद हो गए है। परंतु आज भी हम किसी ना किसी चीज के गुलाम  है ।भले ही हम कहते है कि हमारे देश की संस्कृति सबसे अच्छी है।लेकिन हम दिखावटी रिति रिवाजों में रहना अधिक पसंद करते है।
हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी है लेकिन हम इंग्लिश बोलना अधिक पसंद करते है। हम भारतीय जीवन शैली पर गर्व करते है।चिंता की बात यह है कि १९४८के आजादी में कई भारतीय लगे थे ।कई लोगो ने तो अपनी जान दाव पर लगा दिए ।परंतु इस गुलामी से आजाद कराने के लिए कोई  राजनेता कोई क्रांतिकरी नही है।इसे खुद ही खत्म करना होगा है।
डिजिटल चीजों का उपयोग होना चाहिए ना की इसका उपभोग होना चाहिए। लोग अपने आस पड़ोस को मानो भूलते जा रहे है। किसी की मदद करना हो तो के दिए पैसे "सेंड" , किसी को "गिफ्ट" चाहिए तो ये भी डिजिटल माध्यम से पहुंच जाता है। लेकिन लोग आपसे प्यार चाहते है,उन्हें अपनापन चाहिए न की सोशल साइट्स की  मेसेजिंग वाले शब्द व इमोजी।

शुक्रिया पढ़ने के लिए आशा है कि आप प्रकृति में ही विलीन होना पसंद करेंगे न की डिजिटल उपभोग जिंदगी में।



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