क्या केेह दू उसे वो इंतजार क्यू करती है
थक हार चोखट पर क्यू रोज खड़े रहती है
काम तो दिन का ख्तम हो ही जाता है
फिर क्यों नहीं थोड़ा आराम कर लेती है
मां तुम एक पल नींद क्यू नहीं ले लेती हो
सारा काम तो अकेले ही कर देती हो
चुप रह कर किसी रोज मेरी भी सुन लो
हर वक़्त मुझे क्यू बच्चा समझती हो
कैसे तुझे मां मैं समझाऊं
हर बार तो में तुझसे ही समझ आऊ
मां तेरी ममता बड़ी अनमोल है
तेरा अरबों भी ना कोई मोल है
थक हार चोखट पर क्यू रोज खड़े रहती है
काम तो दिन का ख्तम हो ही जाता है
फिर क्यों नहीं थोड़ा आराम कर लेती है
मां तुम एक पल नींद क्यू नहीं ले लेती हो
सारा काम तो अकेले ही कर देती हो
चुप रह कर किसी रोज मेरी भी सुन लो
हर वक़्त मुझे क्यू बच्चा समझती हो
कैसे तुझे मां मैं समझाऊं
हर बार तो में तुझसे ही समझ आऊ
मां तेरी ममता बड़ी अनमोल है
तेरा अरबों भी ना कोई मोल है
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