जो जीत ले हर दिल है वो कवि जो समेट ले हर ग़म वो है कवि जो कह कर अपनी दास्तां कर दे मग्न जिसे समझ ना पाओ देख आंखे नग्न जो भर दे हर चोट है वो कवि जो कह दे यू हर बात वो है कवि poetry pot
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