The Hub Of psycho Words...

test

Breaking

Post Top Ad

Your Ad Spot

Thursday, March 01, 2018

"अभी तो चले थे अपने नन्हे कदम"

अभी अभी तो चले थे अपने नन्हे कदम
न जाने क्यों बरसाए कदमों में उसने बम
शायद मैने ही कुछ बिगाड़ा होगा
भरे महफ़िल में कभी पिछाड़ा होगा
देख ले ए दुनिया ताकत अपनी
अभी तो आयी ही थी बचपन अपनी
शायद खिलौने मुझे पसंद ही न है
शौख हैं नवाबों वाले हम आम थोड़े है 
मुट्ठियों में हमारे बारूद बसते है
देखना वो नजारा जिसमें हम हस्ते है
भूख प्यास से जब में तित्र बित्र था
तब समझ आया ये गलत पहर था
उमंगे ले कर मै जहां आया था
शायद मेरा बचपन यहां पराया था
मिला तो जाना ये नापाकी सखसियत
मजहबी बहुत है इनकी हैवानियत
पेड़ के पीछे दुबक के छिप गया था
मेरे दोस्त को जब बारूद खा गया था
सेह न सके ये हमारी एक किलकारियां
जिहादियों ने छीन ली मेरी यारियां
सेहमा सेहमा डरा डरा आंखे मेरी फटी रह गई
जब उस सख्स की हैवानियत मेरी मां निगल गई
मां की यादों ने मुझे घेरे रखा था
मै निहत्थे था मुझे नपकियो ने घेरे रखा था
हाथो में जरा सी ताक़त के केहर न थे
ये  दुनिया के सड़े कचड़े के ढेर थे
जरा सा नादान भी था बड़ा  हो न सका
मां के ममता में इनको समझ न सका
तेरी हस्ती मिटा दूंगा मै अगली बारबार ज
याद रखना इस बार था मै बेकसूर  

                           ¶©उन्मत
Steps of child,syria attack ,bomb attacks,2017
Attacks on child.

Post Top Ad

Your Ad Spot

MAIN MENU